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एक नया साल फिर आया है|

मेरे जीवन कि पोथी के,   365   पन्ने लिखकर , कुछ किस्से ,   कुछ बातें करके, कुछ प्यारी सी यादें देकर ; कुछ खास   chapters   को लिखकर, करके कदमताल चला गया , एक और साल चला गया | कुछ अपने थे ,   कुछ सपने थे ,   कुछ अपनों के भी सपने थे , कुछ पूरे हुए ,   कुछ नहीं हुए ,   पर जो जो थे सब अपने थे ; जीवन के पहिये को धकेल ,   बनके भूतकाल चला गया, एक और साल चला गया | कुछ पा लेने की ख्वाहिश थी, कुछ बन जाने का सोचा था, जब पंडित जी के पास गए, तो सुना ग्रहों में लोचा था; यहाँ घिस घिस के मर गए और वो, मस्तानी चाल चला गया, एक और साल चला गया | कहते हैं जिंदगी सफर है एक, लोग आते जाते रहते हैं, कुछ नए मिले, कुछ छूट गए, पर याद सब आते रहते हैं; गहरे रिश्तों को झिन्झोड़कर, करके बेहाल चला गया, एक और साल चला गया | जो बिछुड गया वो बिछुड गया, कुछ नहीं मिला तो नहीं मिला, Garden   सूना नहीं होता है, जो एक फूल कोई नहीं खिला; सब शिकवों, गिलों को दफनाकर फिर मैंने कदम बढ़ाया है, एक नया साल फिर आया है | कहते हैं जो कोशिश करते हैं, उनकी कभी हार नहीं होती, चाहे किस्मत